बुधवार, 2 अगस्त 2017

ज्ञान सुधा



*चरित्र एक वृक्ष है, सम्मान एक छाया। हम हमेशा छाया की सोचते हैं, लेकिन छाया तो तब मिलेगी जब वृक्ष अच्छा हो।*



     

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