शनिवार, 5 अगस्त 2017

विश्वकर्मा जी की पूजा की विधि


विधि:

भगवान विश्वकर्मा की पूजा और यज्ञ विशेष विधि-विधान से होता है। इसकी विधि यह है कि यज्ञकर्ता स्नानादि-नित्यक्रिया से निवृत्त होकर पत्नी सहित पूजास्थान में बैठे। इसके उपरांत विष्णु भगवान का ध्यान करे। तत्पश्चात् हाथ में पुष्प, अक्षत लेकर-ओम आधार शक्तपे नम: और ओम् कूमयि नम:, ओम् अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम:, ऐसा कहकर चारों दिशाओ में अक्षत छिड़के और पीली सरसों लेकर दिग्बंधन करे। अपने रक्षासूत्र बांधे एवं पत्नी को भी बांधे। पुष्प जलपात्र में छोड़े। इसके बाद हृदय में भगवान विश्वकर्मा का ध्यान करें। रक्षादीप जलाये, जलद्रव्य के साथ पुष्प एवं सुपारी लेकर संकल्प करें। शुद्ध भूमि पर अष्टदल कमल बनाएं। उस स्थान पर सप्त धान्य रखें। उस पर मिट्टी और तांबे का जल डालें। इसके बाद पंचपल्लव, सप्त मृन्तिका, सुपारी, दक्षिणा कलश में डालकर कपड़े से कलश का आच्छादन करें। चावल से भरा पात्र समर्पित कर ऊपर विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित करें और वरुण देव का आह्वान करें। पुष्प चढ़ाकर प्रार्थना पूर्वक नमस्कार करें व आग्रह करें-हे विश्वकर्मा देवता, इस मूर्ति में विराजिए और मेरी पूजा स्वीकार कीजिए। इस प्रकार पूजन के बाद विविध प्रकार के औजारों और यंत्रों आदि की पूजा कर हवन यज्ञ करें।
मेषःनियोजित रूप से काम करने से व्यावसायिक योजनाएं सफल होंगी। 

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