गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

तिक्‍खुत्तो का पाठ


तिक्‍खुत्तो, आयाहिणं-पयाहिणं करेमि। वंदामि-नमंसामि। सक्‍कारेमि-सम्‍माणेमि, कल्‍लाणं- मंगलं, देवयं-चेइयं, पज्‍जुवासामि। मत्‍थएण वंदामि।

अर्थ- मैं तीन बार आदक्षिणा-प्रदक्षिणा (वंद्य की दाहिनी ओर से दक्षिणवर्ती छाती से प्रारंभ करके छाती तक) प्रदक्षिणा आवर्त करता हूँ। नमस्‍कार करता हूँ। सत्‍कार करता हूँ। सम्‍मान करता हूँ। (आप) कल्‍याण-आह्लादकारक की पर्युपासना करता हूँ। मस्‍तक झुकाकर वंदना करता हूँ।

सामायिक लेने का पाठ

करेमि, भंते! सामाइयं, सावज्जं जोगं पच्चक्खामि।
जावनियमं (जितनी सामायिक करना हो, उतनी
संख्या बोलना) मुहुत्तं पज्जुवासामि। दुविहं-तिविहेणं,
न करेमि, न कारवेमि, मणसा-वयसा-कायसा, तस्स भंते! पडिक्कामामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि।