गुरुवार, 14 दिसंबर 2017

सामायिक लेने का पाठ

करेमि, भंते! सामाइयं, सावज्जं जोगं पच्चक्खामि।
जावनियमं (जितनी सामायिक करना हो, उतनी
संख्या बोलना) मुहुत्तं पज्जुवासामि। दुविहं-तिविहेणं,
न करेमि, न कारवेमि, मणसा-वयसा-कायसा, तस्स भंते! पडिक्कामामि, निंदामि, गरिहामि, अप्पाणं वोसिरामि।

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