एयस्स नवमस्स सामाइयवयस्स, पंच अइयारा जाणिजव्वा, न समायरियव्वा, तंजहा, मणदुप्पणिहाणे, वयदुप्पणिहाणे, कायदुप्पणिहाणे, सामाइयस्स सइ अकरणया, सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया, तस्स मिच्छा मि दुक्कडं! सामाइय वयं, सम्मंकाएणं, न फासियं, नपालियं, न तीरियं, न किट्टियं, न सोहियं, न आराहियंआणाए अणुपालियं न भवइ; तस्स मिच्छा मि दुक्कडं!
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सामायिक में दस मन के, दस वचन के और बारह काया के, इन बत्तीस दोषों में से कोई भी दोष (जानते हुए अथवा नहीं जानते हुए भी) लगा हो, तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
सामायिक में स्त्री कथा (स्त्रियाँ यहाँ पुरुष कथा कहें) देशकथा, राजकथा और भक्त (भोजन) कथा में से कोई भी विकथा कही हो, (सुनी हो अथवा चाही हो) तो तस्स मि दुक्कडं।
सामायिक व्रत में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार, जानता-अजानता अतिचार पाप दोष लगा हो, तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
सामायिक में आहार संज्ञा, भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा और परिग्रह संज्ञा में से किसी भी संज्ञा का सेवन किया हो, तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
सामायिक व्रत विधिपूर्वक लिया, विधि से ही परिपूर्ण किया, फिर भी विधि में कोई अविधि हुई हो, तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
सामायिक का पाठ बोलने में कामा, मात्रा, अनुस्वार, पद, अक्षर, ह्रस्व, दीर्घ, न्यूनाधिक विपरीत पढ़ने में आया हो, तो अर्हन्त, अनंत सिद्ध, केवली भगवान की साक्षी से तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।