कहां है कृतिका लोक, क्या है इससे जुड़ी कथा।
"कृतीका लोक" उस स्थान को कहा जाता है, जहाँ भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का पालन-पोषण हुआ था। धार्मिक और पौराणिक संदर्भों में, कृतीका लोक को विशेष स्थान प्राप्त है, खासकर हिन्दू धर्म की कथाओं और पुराणों में।
यह स्थान कृतीका ग्रह या कृतीका नक्षत्र से जुड़ा हुआ है, जो भारतीय ज्योतिषशास्त्र में एक प्रमुख नक्षत्र है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का पालन- पोषण कृतीका देवियों ने किया था। यह देवी एक प्रकार के नक्षत्रों के रूप में मानी जाती हैं, और पौराणिक कथा में इनका उल्लेख विशेष रूप से कार्तिकेय के पालनकर्ता के रूप में किया गया है।
पौराणिक कथा:
कहा जाता है कि जब भगवान शिव और पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ, तो वह एक छोटे बच्चे के रूप में थे। उनके जन्म के बाद, उनकी देखभाल और पालन-पोषण के लिए माता पार्वती ने कृतीका देवियों (जो सप्त ऋषियों की कन्याएँ मानी जाती हैं और जो कृतीका नक्षत्र में स्थित हैं) को उनकी देखभाल के लिए नियुक्त किया। ये देवियाँ कार्तिकेय को अपनी मां की तरह पालन करती हैं और उन्हें वीर, बलशाली और बुद्धिमान बनाती हैं।
कृतीका लोक की महत्वता:
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कृतीका नक्षत्र - यह नक्षत्र भारतीय ज्योतिष में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और इसे युद्ध और साहस का प्रतीक माना जाता है। कार्तिकेय का संबंध इस नक्षत्र से जुड़ा है, जिससे यह स्थान और भी पवित्र हो जाता है।
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कार्तिकेय का वीरता से जुड़ा संबंध - कार्तिकेय के युद्ध कौशल और वीरता की कथाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं। वह देवी महाशक्ति की रक्षा और असुरों के संहार के लिए प्रसिद्ध हैं।
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कृतीका लोक का धार्मिक दृष्टिकोण - इस लोक का धार्मिक दृष्टिकोण विशेष रूप से कार्तिकेय की पूजा और उनके जीवन से जुड़ी कथाओं से है। कार्तिकेय को दक्षिण भारत में विशेष रूप से पूजा जाता है और उनके कई मंदिर हैं, जैसे कि तमिलनाडु के कांची, तिरुतनी, और पचचैमल जैसे स्थानों पर।
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सप्तऋषि और कृतीका - पौराणिक कथाओं में सप्तऋषियों की बहुत महत्वता है, और उनके साथ जुड़ा हुआ कृतीका नक्षत्र भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कृतीका लोक को आमतौर पर दक्षिण भारत में ही संदर्भित किया जाता है, जहां कार्तिकेय की पूजा की जाती है और साथ ही उनके जीवन के महत्वपूर्ण घटनाओं का उल्लेख होता है।