मंगलवार, 1 अगस्त 2017

सांई बाबा की आरती


आरती श्री साई गुरुवर की, परमानंद सदा रघुवर की |
जाकी कृपा विपुल सुखकारी, दु:ख शोक संकट भयहारी |
शिरडी में अवतार रचाया, चमत्कार से तत्व दिखाया |
कितने भक्त चरण पर आये, वे सुख शंति चिंतन पाये |
भाव धरे जो मन में जैसा, पावत अनुभव वो ही वैसा |
गुरु की उदी लगावे तन को, समाधान लाभत उस मन को |
साई नाम सदा जो गावें, सो फल जग में शाश्वत पावें |
गुरुवासर करि पूजा सेव, उस पर कृपा करत गुरु देवा |
राम कृष्ण हनुमान रुप में, दे दर्शन जो जानत मन में |
विविध धर्म के सेवक आतें, दर्शन कर इच्छित फल पातें |
जै बोलो साई बाबा की, जै बोलो अवधुत गुरु की |
साई दास आरती को गावे, घर में बसि सुख मंगल पावे |

आरती कुंजबिहारी जी की


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…